आपको Market में दो प्रकार के लोग देखने को मिलेंगे, लेकिन इन दोनों के मत अलग अलग होते हैं.
कुछ लोग सोचते हैं की market बढेगा और वहीँ कुछ लोग सोचते हैं की Market घटेगा. इसे समझने के लिए दो चीज़ों को समझना बहुत ही आवश्यक होता है.
1. अगर demand बढ़ जाता है या exceed करता है supply को तब ऐसे में price या कीमत में बढ़ोतरी होती है.
2. वहीँ अगर Supply बढ़ जाता है Demand से तब ऐसे में price या कीमत में घटोतरी नज़र आती है.
चलिए एक उदाहरण से इसे बेहतर तरीके से समझते हैं.
मान लीजिये की SBI ने अपनी financial results की घोषणा की और उनकी net profit margin करीब 100% बढ़ जाती है. ये performance असल में काफी अच्छी है उम्मीद से.
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चलिए मान लें की SBI Stock price अभी है Rs.250. अब आप अब bid करेंगे 100 shares पर वो भी Rs.250 में लेकिन अब कोई भी आपको ये share बेचना नहीं चाहता है क्यूंकि सभी को लगता है की आगे चलकर SBI stock price और ज्यादा बढ़ने वाली है.
ऐसे में आप SBI Share को खरीदने के लिए उसकी खरीदारी कीमत को बढ़ा देते हैं वो भी Rs.255 तब भी कोई ready नहीं होते हैं इसे बेचने के लिए, ऐसे में demand ज्यादा है supply से इसलिए इसकी कीमत बढ़कर अब Rs.260 हो गयी. आप इस कीमत में भी खरीदना चाहते हैं और अब कोई आपको बेचना चाहता है Rs.260 की कीमत में. आपको इसमें नज़र आएगी की जहाँ पहले stock price केवल Rs.250 थी वो अब बढ़कर 260 में पहुँच गयी है.
ठीक ऐसे ही जब सभी को लगता है की company ठीक से perform नहीं कर रही है तब अपने आप ही stock price घट जाती है, जिसमें की ज्यादा shareholder अपने shares को बेचना चाहते हैं वहीँ कोई उसे खरीदना नहीं चाहते हैं जिससे share price में गिरावट देखने को मिलती है.
आप असल में pessimists (निराशावादी) से खरीदते हैं और optimists (आशावादी) को बेचते हैं.
वहीँ ठीक ऐसे ही या यही कारण है की stock price fluctuate होती है.
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nice
ReplyDeletenice
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